Saturday, June 14, 2025
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धूप, धूल और दर्द – जानिए Construction Worker की ज़िंदगी कैसी होती है

आप हर दिन बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स, ब्रिज, और मॉल्स बनते हुए देखते होंगे। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन्हें बनाने वाले construction workers की ज़िंदगी कैसी होती है?
आज हम एक ऐसे ही construction worker के अनुभव को आपके सामने रख रहे हैं, जो हर दिन सूरज से पहले उठता है और सूरज ढलने के बाद थका-हारा घर लौटता है।

सुबह की शुरुआत – 6:00 AM

“मेरी सुबह 6 बजे अलार्म से नहीं, नींद से टूटती है,” ये कहना है संदीप नाम के एक site worker का जो पिछले 5 सालों से construction job कर रहे हैं। संदीप रोज़ सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर, एक चाय और कभी-कभी दो रोटी खाकर काम पर निकलते हैं। उनका सफर शुरू होता है लोकल ट्रेन से और फिर पैदल चलकर site तक पहुँचना।

साइट पर एंट्री और Safety Check – 7:30 AM

Site पर पहुँचते ही सबसे पहले attendance लगती है। फिर safety gear – helmet, safety shoes, gloves, jacket पहनना ज़रूरी होता है। “Site पर कोई भी काम बिना helmet के allowed नहीं होता,” संदीप बताते हैं। इसके बाद 15 मिनट की safety meeting होती है जिसमें बताया जाता है कि आज कौन-कौन से tasks होंगे और किन बातों का ध्यान रखना है।

काम की शुरुआत – 8:00 AM से 1:00 PM

अब असली मेहनत शुरू होती है। कोई cement का mix बना रहा होता है, कोई steel rods काट रहा होता है, तो कोई bricks उठा रहा होता है। संदीप का आज का काम था shuttering board लगाना।

“काम बहुत physical होता है। मशीनें तो होती हैं, लेकिन manual strength ज़रूरी होती है,” वो कहते हैं।

हर worker को अपने tool का इस्तेमाल करना आता है – जैसे measuring tape, hammer, drill machine, and leveler

Lunch Break – 1:00 PM से 1:30 PM

1 बजे lunch break होता है, लेकिन वो भी पूरी तरह आराम नहीं होता।
कुछ लोग अपने घर से लाई हुई दाल-रोटी खाते हैं, कुछ पास के ढाबे से खाना लेते हैं।
संदीप बताते हैं – “हम लोग छांव में बैठकर खाते हैं। हँसी-मज़ाक होता है, लेकिन शरीर थक जाता है।

दोपहर की शिफ्ट – 2:00 PM से 6:00 PM

Lunch के बाद फिर से काम शुरू होता है। दोपहर की गर्मी में काम करना बेहद मुश्किल होता है, लेकिन deadlines को देखते हुए रुकना नहीं होता।

कभी-कभी पानी की कमी भी हो जाती है, फिर nearby tanker से इंतज़ाम होता है।

“Site par kaam करना teamwork होता है। अगर एक आदमी गलती करे, तो पूरा structure खराब हो सकता है,” संदीप कहते हैं।

एक छोटी सी गलती, बड़ा हादसा

Construction job में safety सबसे बड़ा मुद्दा है। संदीप बताते हैं कि एक बार उनके साथी की फिसलने से leg fracture हो गया था, क्योंकि उसने safety shoes नहीं पहने थे।

“हमेशा safety को ignore मत करो, ये जान बचा सकता है,” वो चेतावनी देते हैं।

काम का अंत – 6:30 PM

6 बजे तक दिन भर की मेहनत के बाद tools वापस जमा होते हैं, और worker अपनी attendance mark कराते हैं।

“शरीर टूट जाता है, लेकिन काम पूरा करके जो satisfaction मिलता है, वो कहीं नहीं मिलता,” संदीप मुस्कुराकर कहते हैं।

घर वापसी और परिवार

संदीप जैसे लाखों मजदूर अपने परिवार से दूर रहकर अलग शहरों में काम करते हैं।
रात को घर लौटकर थोड़ा rest और फिर अगले दिन की तैयारी शुरू। ये एक cycle है जो रोज़ दोहराई जाती है।

एक Real Hero – बिना Cape के

Construction workers को अक्सर society में वो respect नहीं मिलती जो मिलनी चाहिए। लेकिन हम सबका घर, ऑफिस, स्कूल – इन्हीं की मेहनत से बना है।

“हम Nation Builder हैं, लेकिन लोग हमें मज़दूर कहकर भूल जाते हैं,” संदीप कहते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

Construction job glamor वाली नहीं होती, लेकिन ये सबसे ज़रूरी jobs में से एक है। एक site worker का एक दिन आसान नहीं होता – इसमें मेहनत, रिस्क, और dedication होता है।

अगर आप construction field में आना चाहते हैं तो आपको ये समझना होगा कि ये job सिर्फ हाथों से नहीं, दिल से भी करनी पड़ती है।

क्या आपने कभी construction site पर काम किया है या किसी को करते देखा है? आपका क्या अनुभव रहा? नीचे comment करें और इस पोस्ट को उन लोगों के साथ share करें जो इस field में करियर बनाना चाहते हैं।

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